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Wednesday, February 17, 2010
Saturday, February 13, 2010
Thursday, February 11, 2010
अंतरराष्ट्रीय संयुक्त प्रयासों से ‘मेन ऑन मून’
इसरो के पूर्व प्रमुख व चंद्रयान-1 के मुख्य कर्ताधर्ता जी माधवन नायर ने ‘मेन ऑन मून’ को ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त प्रयासों की जरूरत बल दिया है। उनका कहना है कि इस दिशा में भारत की भांति चीन भी प्रयासरत है लेकिन यह मिशन जोखिमों से भरपूर तथा चुनौतीपूर्ण है।
इसके लिए काफी धन व मानवसंसाधन की भी जरूरत है। साथ ही विज्ञान व तकनीक भी उच्चकोटि की चाहिए। इन कारणों से ‘मेन ऑन मून’ सरीखे प्रोजेक्ट संयुक्त प्रयासों के बिना असंभव लग रहे हैं।
इसलिए ‘मेन ऑन मून’ प्रोजैक्ट के लिए इंटरनेशनल प्रोग्राम बनाया जाना चाहिए। पूर्व इसरो प्रमुख नायर यहां पीआरएल परिसर में छटवें वैज्ञानिक विचार-विमर्श कार्यक्रम के अंतिम दिन उक्त बात कही। चंद्रमा पर जीवन की संभावनाएं, पानी सहित बिंदुओं मंथन के लिए देश-विदेश के वैज्ञानिक यहां पहुंचे थे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत-चीन के अलावा जापान, रूस एवं अमरीका भी मून मिशन में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं। ऐसे में ‘मेन ऑन मून’ हेतु यह राष्ट्र साथ आएं तो कोई नहीं बात नहीं होगी।
एक और चंद्रमानासा की वैज्ञानिक कार्ली पीटर ने कहा कि पृथ्वी से दिखने वाले चंद्रमा की विपरीत दिशा में भी एक और चंद्रमा है लेकिन यह देखा नहीं जा सका है। चंद्रयान से वहां पहुंचने में सफलता मिली है। इतना ही नहीं चंद्रमा के दूसरे पट की विपरीत दिशा में दिखने वाले गड्ढे-पर्वत की तुलना में अलग प्रकार के हैं।
कागुया का चंद्रमा का नक्शा
जापान के मून मिशन कागुया से संबद्ध वैज्ञानिक डा. कोबायासी ने मंथन के दौरान मून मैप की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वैसे तो कई बार चंद्रमा के नक्शे देखे गए हैं लेकिन कागुया हाई-रिजोल्यूशन ईमेज लेने में सफल रहा है। इसलिए चंद्रमा का यह नक्शा अब तक तैयार नक्शों की तुलना में अच्छी गुणवत्ता का है। किसी भी चंद्रमिशन में नक्शा वैज्ञानिकों को वहां की भौगोलिक स्थिति समझने में मदद करता है।